Thursday, April 21, 2011

चाँद की ठंडक का राज़


बहुत
थका हुआ था
लेटते ही सो गया
नींद में खो गया
सपनों की दुनिया में
पहुँच गया
चाँद से मिलना हुआ
वो मुस्करा रहा था
उसने हाथ बढ़ाया
फिर गले से लगाया 
मैंने हाथ मिलाया
फिर गले से लगा
हाथ मैं गर्माहट थी
मिलने में आत्मीयता थी
मुझे आश्चर्य हुआ
चाँद की ठंडक का पता था
गर्माहट का अंदाज़ ना था
मैंने
आश्चर्य से चाँद को देखा
गर्माहट का राज़ पूछा
चाँद ने जवाब दिया
ठंडक मेरी गयी नहीं
अब भी उतना ही ठंडा हूँ
जब भी मिलता हूँ
गर्माहट से मिलता हूँ
निरंतर
दिल खोल कर मिलता हूँ
चाँद की ठंडक का राज़
मुझे पता चल  गया
21-04-2011
721-143-04-11

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