Saturday, April 30, 2011

खुद को तसल्ली देता रहा


दिन में  खुद को मसरूफ रखा
रातें काटी तेरी याद में अक्सर
दिखाने को हंसता रहा
दिल में हर वक़्त रोता रहा
कमज़ोर ना समझे कोई
बेमन से ज़िन्दगी जीता रहा
एक भी ना मिला
जो हाल-ऐ-दिल पूंछता  
हर शख्श दुखड़े अपने रोता
कैसे रोते को और रुलाता ?
हाल-ऐ-दिल जो अपना सुनाता
निरंतर
खुद को तसल्ली देता रहा
तुम्हारा इंतज़ार करता रहा
30-04-2011
792-212-04-11

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