Saturday, April 16, 2011

कल की कल देखूंगा

अगर
रो रो कर जीना
हर पल
कल की सोचना
जो बीत गया
उस को याद करना
ही जीना है  
तो मुझे नहीं जीना
चाहे काँटों में रहूँ
ताने लोगों के सहूँ
लोगों की नज़रों  से
अपने को बचाऊँ
कोई कुछ भी  करे
कोई कुछ भी कहे
मैं हंस कर जीऊँगा
जो बीत गया उसे
जाने दूंगा
निरंतर आज की
सोचूंगा
जब तक जीऊँगा
हंस कर जीऊँगा
कल की कल
देखूंगा  
16-04-2011
688-112-04-11

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