Monday, April 11, 2011

जब भी वो शहर में आते

जब भी
वो शहर में आते
निरंतर पैगाम भिजवाते
कभी खुद मिलने आते
कभी घर बुलाते
मिलते तब हाल चाल
जानते
इधर उधर की बात
करते
मन की बात ना कहते
कुछ वो छुपाते
कुछ हम छुपाते
फिर लौटने का वादा कर
हमेशा की तरह जुदा
हो जाते
11-04-2011
649-82-04-11

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