क्यों मुसकराए थे देख कर मुझे ?
मिले थे दिल खोल कर मुझ से
खुद को साया मेरा कहते थे
अब शक्ल भी देखना ना चाहते
जवाब मेरे किसी खत का ना देते
गर नफरत इतनी तुमको मुझ से
जी भर के सज़ा दे दो मुझ को
इल्तजा इतनी सी है तुम से
मिले थे दिल खोल कर मुझ से
खुद को साया मेरा कहते थे
अब शक्ल भी देखना ना चाहते
जवाब मेरे किसी खत का ना देते
गर नफरत इतनी तुमको मुझ से
जी भर के सज़ा दे दो मुझ को
इल्तजा इतनी सी है तुम से
मेरा नाम अपने जहन से हटा दो
हर याद मेरी दिल से निकाल दो
मेरा सुकून मुझे लौटा दो
मेरी मुस्कान वापस दे दो
निरंतर नींद मेरी छीनी तुमने
वो नींद मुझे फिर से दे दो
जो सपने दिखाए थे मुझे तुमने
वो सपने मुझ से वापस ले लो
फिर चाहो सौगात में कफ़न दे दो
जीते जी दफ़न मुझ को कर दो
हर याद मेरी दिल से निकाल दो
मेरा सुकून मुझे लौटा दो
मेरी मुस्कान वापस दे दो
निरंतर नींद मेरी छीनी तुमने
वो नींद मुझे फिर से दे दो
जो सपने दिखाए थे मुझे तुमने
वो सपने मुझ से वापस ले लो
फिर चाहो सौगात में कफ़न दे दो
जीते जी दफ़न मुझ को कर दो
09-04-2011
633-66-04-11
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