Saturday, April 30, 2011

अब सहारा मेरा ,सिर्फ याद तुम्हारी

तुम ही सोचो
कैसे भुला सकता तुम्हें?
हर याद सीने से लगा
रखी तुम्हारी
ना शिकायत कोई
ना शिकवा कोई
खुशी से हर बात
मानी थी तुम्हारी 
खुद को
भुलाया था तुम्हारे खातिर
फिर क्यूं
याद आती नहीं हमारी
ज़िन्दगी पहले भी तुम्हारी थी
अब भी तुम्हारी
निरंतर जो आग जलाई
दिल में तुमने
ना बुझेगी मरते दम तक
अब सहारा मेरा सिर्फ
याद तुम्हारी
30-04-2011
793-213-04-11

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