हम
कहीं और अटके थे
वो कहीं और अटके थे
दोनों साथ उड़ना चाहते थे
दिल और दिमाग में निरंतर
बहस चलती रही
दिल कहता उड़ चलो
दिमाग कहता अटके रहो
दिल-ओ-दिमाग
के झगडे में बरसों बीत गए
उड़ना चाहते थे,अटके रहे
हमारे साथ वो भी फंसे रहे
जब दिमाग माना,
वो उड़ चुके थे
हम वहीँ अटके रहे
12-04-2011
660-93-04-11
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