Friday, April 29, 2011

अब खिजा से रिश्ता हो गया

जफा करो या वफ़ा करो
अब कोई फर्क नहीं पड़ता
दिल टूट गया इतना
कुछ महसूस नहीं होता
फूल कोई अब नहीं
महकता
ना कोई ख़्वाबों में आता
जीना,मरना बराबर लगता
अब खिजा से रिश्ता हो गया
खुद में ही सिमट गया
निरंतर आँखों से अश्क बहाता
खामोशी से  वक़्त गुजारता
780-200-04-11

No comments: