Friday, April 15, 2011

चाह कर भी कुछ कर नहीं सकते


बहार आये ना आये
ऋतु बदले ना बदले
हमारी 
हालत ना बदलेगी
ना वो 
लौट कर आ सकते
ना मुस्कान
हमारे चेहरे पर आ 
सकती
ज़िन्दगी अब यादों में
कटेगी
निरंतर अश्क आँखों से
बहते
उनके दीदार को तरसते
वो ऊपर खुदा के पास बैठे
चाह कर भी कुछ कर
नहीं सकते 
14-04-2011
674-107-04-11

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