उम्र सवाल
सुनने में बीत गयी
जवाब देते देते जुबान
थक गयी
यकीन मेरा किसी ने
ना किया
मेरे हर जवाब को
झूंठा कहा
सच सुनना किसी को
पसंद नहीं
सच को झूंठ बताना मेरी
फितरत नहीं
निरंतर दोगले चेहरों का
कहर सहा मैंने
उम्र के इस पड़ाव पर
आदत बदलूंगा नहीं
मौत आने तक बात अपनी
कहता रहूँगा
सुकून दुनिया को कभी ना
दे पाऊंगा
खुश हूँ , खुद तो सुकून
से जाऊंगा
09-04-2011
636-69-04-11
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