Sunday, April 10, 2011

उम्र सवाल सुनने में बीत गयी


उम्र सवाल
सुनने में बीत गयी
जवाब देते देते जुबान
थक गयी
यकीन मेरा किसी ने
ना किया
मेरे हर जवाब को
झूंठा कहा
सच सुनना किसी को
पसंद नहीं
सच को झूंठ बताना मेरी
फितरत नहीं
निरंतर दोगले चेहरों का
कहर सहा मैंने
उम्र के इस पड़ाव पर
आदत बदलूंगा नहीं
मौत आने तक बात अपनी
कहता रहूँगा
सुकून दुनिया को कभी ना
दे पाऊंगा
खुश हूँ , खुद तो सुकून 
से जाऊंगा   
09-04-2011
636-69-04-11

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