Saturday, April 9, 2011

मेरी चाहत को गुनाह ना कहना

मेरी चाहत को
गुनाह ना कहना
खुदा तुम्हें माना
इबादत उसकी
समझना
खुदा से दिल लगाना
गुनाह नहीं होता 
फिर भी चाहो
सज़ा दे देना
मंजूर खुशी से
कर लेंगे 
इसे बहाने निरंतर
याद मुझे करोगे
सुकून इस में ही
पा लेंगे
 09-04-2011
635-68-04-11

No comments: