Sunday, April 17, 2011

याद आयेगी ज़रूर

वो चिराग हूँ
जो तेज़ हवाओं से
नहीं डरता
लोग बुझाने की
कोशिश करेंगे
उनसे
खौफ नहीं खाता
लौ कम ही सही
निरंतर जलेगी ज़रूर
मरने के बाद भी
रोशनी देगी ज़रूर
जीते जी कद्र ना करी
बाद मरने के मेरे
याद आयेगी ज़रूर
17-04-2011
695-119-04-11

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