एक ग़ज़ल से
दोस्ती शुरू हुयी
एक ग़ज़ल से
दोस्ती शुरू हुयी
उन्होंने लिखी,
मैंने तारीफ़ करी
शुक्रिया में उन्होंने
एक ग़ज़ल और लिख दी
मैंने भी उनसे
दिल की बात कही
उन्होंने कबूल करी,
दोस्ती हो गयी
मैं लिखता
वो तारीफ़ करती
वो गजलें गातीं
मैं,दिल से सुनता
वो मुझ में खोतीं
मैं उनमें खोता
सिलसला सुनने,
सुनाने का चलता रहा
उनका दिल मेरा
मेरा उनका हो गया
दोस्ती मोहब्बत में
बदल गयी
निरंतर प्यार में डूबी
जोड़ी बन गयी
05-04-2011
607-40 -04-11
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