धूल का छोटा सा कण
मेरी आँख में क्या पडा
जान का बवाल बन गया
आँख को पानी से धोया
रुमाल से पौंछा
पर धूल का छोटा सा कण
अपनी
जिद पर अड़ गया
बहुत यत्न किया
पर बाहर नहीं निकला
आँख सूज कर लाल हो गयी
पीड़ा बढ़ती गयी
चिकित्सकों से सलाह
ली गयी
पर वो अपनी जिद पर
अडा रहा
मैंने थक कर हार मान ली
पीड़ा दूर करने के लिए
परमात्मा से प्रार्थना
करने लगा
अंत में अपने आप
निकल गया
पर निकलने से पहले
समझा गया
जीवन में हर व्यक्ति का
महत्त्व होता है
चाहे राजा हो या रंक
किसी से अनुचित व्यवहार
नहीं करना चाहिए
धूल के छोटे से कण को भी
कम नहीं आंकना चाहिए
अहंकार को तोड़ने के लिए
वो भी पर्याप्त हो सकता है
बड़े कष्ट का कारण
बन सकता है
06-03-2012
300-34-03-12
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