निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
मच चुका हंगामा महफ़िल-ऐ-ज़िन्दगी में बहुत कैसे अमन कायम करूँ अब ज़हन में सिर्फ यही सवाल है किस पर ऐतबार करूँ किस पर शक करूँ अब समझ से बाहर है लगता है खुद और खुदा के सिवाय कोई और अब काम नहीं आयेगा 12-03-2012 350-83-03-12
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