कई बार उस
सड़क से निकलता था
पर उस
कचनार के पेड़ पर
पहले कभी दृष्टि नहीं पडी
आज जब फूलों से
लद गया
आने जाने वालों को
अपनी ओर आकृष्ट
कर रहा था
बिरला ही कोई होगा
जिसकी दृष्टी उसकी
सुन्दरता देखने को नहीं
उठती होगी
अपने को रोक नहीं पाया
मित्र को मन की
इच्छा से अवगत
कराया
एक चित्र कचनार के
साथ खीचने का आग्रह
किया
जैसे ही सुन्दरता से
लुभा रहे कचनार के
पास पहुंचा
वो मुस्कराया
फिर धीरे से बोला
पतझड़ में मेरे पत्ते
गिर गए थे
एक ठूठ बन कर रह
गया था
तुम्हें यहाँ से निकलते
हुए देखता था
पर तुमने मेरी तरफ
झांका तक नहीं
आज जब फूलों से
लद गया हूँ
तुम अपना चित्र
मेरे साथ खिचवाना
चाहते हो
इस बात की खुशी है
पर ध्यान रखना
अगले वर्ष पतझड़ में
फिर ठूठ सा दिखूंगा
तब भी मेरी तरफ
देखना ना भूलना
13-03-2012
356-90-03-12
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