Tuesday, March 13, 2012

पतझड़ में फिर ठूठ सा दिखूंगा तब भी मेरी तरफ देखना ना भूलना

कई बार उस
सड़क से निकलता था
पर उस
कचनार के पेड़ पर
पहले कभी दृष्टि नहीं पडी
आज जब फूलों से
लद गया
आने जाने वालों को
अपनी ओर आकृष्ट
कर रहा था
बिरला ही कोई होगा
जिसकी दृष्टी उसकी
सुन्दरता देखने को नहीं
उठती होगी
अपने को रोक नहीं पाया
मित्र को मन की
इच्छा से अवगत
कराया
एक चित्र कचनार के
साथ खीचने का आग्रह
किया
जैसे ही सुन्दरता से
लुभा रहे कचनार के
पास पहुंचा
वो मुस्कराया
फिर धीरे से बोला
पतझड़ में मेरे पत्ते
गिर गए थे
एक ठूठ बन कर रह
गया था
तुम्हें यहाँ से निकलते
हुए देखता था
पर तुमने मेरी तरफ
झांका तक नहीं
आज जब फूलों से
लद गया हूँ
तुम अपना चित्र
मेरे साथ खिचवाना
चाहते हो
इस बात की खुशी है
पर ध्यान रखना
अगले वर्ष पतझड़ में
फिर ठूठ सा दिखूंगा
तब भी मेरी तरफ
देखना ना भूलना
13-03-2012
356-90-03-12

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