अब
लोग रोने भी नहीं देते
आंसूओं को खून का
घूँट सा पीने को कहते
डरते हैं
कहीं ज़माने ने बहते
आंसूओं को देख लिया
तो देखने वाले सवाल
पूछेंगे
कहीं मुंह से उनका नाम
निकल गया
तो उन्हें जान लेंगे
घबरा कर ग़मों को
चुपचाप सहने के लिए
कहते
18-03-2012
400-134-03-12
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