जो बनते हैं सहारा
लोगों के
हिम्मत होंसला बढाते हैं
रोते से हंसाते हैं उनको
बांटते हैं मुस्कान ज़माने को
उन्हें खुद का ख्याल नहीं
खुद अँधेरे कमरे में बैठे
सह रहे हैं
कैसे समझाए उन्हें कोई
अँधेरे को छोड़
उजाले में आ जाओ
कुछ अपना भी ख्याल करो
चाहने वालों को मायूस
ना करो
जिन्हें हंसाया था बड़ी
मुश्किल से
उन्हें फिर से ना रुलाओ
17-03-2012
391-125-03-12
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