Monday, March 5, 2012

कहने को छोटी सी चिड़िया थी

एक एक तिनका
जोड़ कर बनाया था
नीड़ उसने
बहुत परिश्रम से
बसने से पहले ही
हवा के तेज झोंके ने
कर दिया बेसहारा उसे
समझ ना पायी
कैसे हो गयी घर से
बेघर एक क्षण में
ना आँसू बहाए
ना व्यथित हुयी
ना ही ढिंढोरा पीटा
दुनिया में  
चुपचाप जुट गयी
तन मन,संयम से
एक एक तिनका
ढूंढ कर कर लाने लगी
पुनः नीड़ बनाने को
कहने को
छोटी सी चिड़िया थी
हिम्मत
दिखायी पहाड़ों सी
अकेली लडती रही
तूफानों से
05-03-2012
299-33-03-12

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