वक़्त की बात है
लोग उनके
दीदार को तरसते हैं
जो कभी हमारे
दीदार को तरसते थे
वो सामने खड़े होते हैं
तो भी नहीं
पहचानते हमें
गम इस बात का नहीं
वो हमें भूल गए हैं
हम परेशान हैं
सिर्फ ये सोच कर
जब भी वक़्त पलटेगा
कोई पहचानेगा
नहीं उन्हें
कैसे बर्दाश्त करेंगे वो
कैसे सम्हालेंगे हम
उनको
14-03-2012
372-106-03-12
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