हम रूठें ना रूठें
हमें मनाता नहीं कोई
सबको
हँस कर मनाते मनाते
सब समझने लगे
हमारी ज़िन्दगी में
गम नहीं कोई
कैसे समझायें उन्हें
हम यूँ ही हँसते नहीं
रहते
हम नहीं चाहते रो कर
खुद को कमज़ोर बताएं
किसी को
हंसी उड़ाने का मौक़ा दें
पहले ही
पहले ही गम बहुत
ज़िन्दगी में
उन्हें और ना बढ़ाएं
13-03-2012
365-99-03-12
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