मन नहीं लगेगा
मेरे कमरे की दीवारों का
मेरे दुनिया से जाने के बाद
निरंतर
मुझे याद करेगी
जब उन्हें रहना पडेगा
तन्हायी में
कुछ कह तो नहीं
पाएंगी
मगर मुझे याद कर के
कुछ सोचेंगी अवश्य
आंसू तो नहीं बहायेंगी
मगर घर में सूनापन तो
लायेंगी
दीवारों के रंग
हलके लगने लगेंगे
खामोशी
काटने को दौड़ेगी
जब भी
मेरी कुर्सी पर कोई
बैठेगा
मेरी कलम से कुछ
लिखने की कोशिश
करेगा
पसंद नहीं करेंगी
मेरे कमरे की दीवारें
मेरे जाने के बाद
अगर खेला किसी ने
मेरे ज़ज्बातों से
07-03-2012
316-50-03-12
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