इंतज़ार करते करते आजिज़ आ गए अब दिल की हसरतों को इज़हार करने हम उनके दर पर आये हैं दिल धड़क रहा मन घबरा रहा वो दिल में बसते हमारे हम अनजान उनके लिए फिर भी हिम्मत कर के उम्मीदों की बरात लेकर आये हैं या तो वो इल्तजा कबूल कर लेंगे या खाली हाथ लौटा देंगे हम भी या तो दीवाली मनाएंगे या ख्वाइशों की होली जलाएंगे अब और इंतज़ार नहीं करेंगे हर हाल में अब जवाब लेकर जायेंगे
08-03-2012
330-64-03-12
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