तुम कहो मैं सुनूँ जैसा चाहो वैसा करूँ नहीं मानूं तो तुम रूठ जाओ फिर मैं तुम्हें मनाऊँ मैं कहूं तुम सुनो जो चाहूँ वो करो नहीं करो तो मैं रूठ जाऊं फिर तुम मुझे मनाओ दोनों यूँ ही रूठते मनाते रहेंगे आपस में लड़ते झगड़ते रहेंगे जीवन यूँ ही काटते रहेंगे ना नें खुश रहूँगा ना तुम खुश रहोगे क्यों ना थोड़ा सा खुद को बदल लें रूठने मनाने की आवश्यकता ना पड़े दोनों सब्र के कपडे पहन लें मन में सहनशीलता ओढ़ लें कुछ मेरा कुछ तुम्हारे मन का कर लें जीवन काटने के बजाय
खुशी से जी लें
12-03-2012
353-87-03-12
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