Sunday, March 18, 2012

हास्य कविता-हूर के बगल में वो लंगूर कहलायेंगे



हुस्न के दीवानों से
कोई ये भी तो पूछ ले
दुनिया की नज़रों से
घूरती निगाहों से
हुस्न को संभाल कर
कैसे रखेंगे?
कैसे उनके नाज़ नखरे
उठाएंगे?
नाज़ुक हाथों से
रोटियाँ कैसे बनवायेंगे?
कैसे घर का झाडू पौंचा
लगवाएंगे?
कपडे क्या खुद धोयेंगे?
बर्तन
क्या किसी और से
मंजवायेंगे
उनके हाथ पैर दुखेंगे
तो क्या खुद दबायेंगे?
मेकअप का खर्चा
क्या पिताजी उठाएंगे?
सवेरे उठेंगे तो
चाय क्या खुद बनायेंगे?
हुस्न के दीवानों से
ये भी कोई पूछ ले
चाह तो रखते हैं मन में
पर ये भी तो जान लें
हूर के बगल में वो
लंगूर कहलायेंगे
18-03-2012
406-140-03-12


No comments: