कब तक गुजरेगी
ज़िन्दगी इम्तहानों में
कदम कदम पर
लड़ना पडेगा तूफानों से
एक गुजरता नहीं
दूसरा मुंह दिखाने लगता
ज़ख्म ठीक होने से पहले ही
फिर ज़ख्म खाता
बताया नहीं था किसी ने
यही होता ज़िन्दगी में
चैन की तलाश में
बेचैनी का साथ मिलता
देना पड़ता इम्तहान
पल पल में
कब तक गुजरेगी
ज़िन्दगी इम्तहानों में
14-03-2012
368-102-03-12
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