Tuesday, March 20, 2012

कैसा लगता ?


कैसा लगता ?
जब तुम कुछ पूछते 
वो जवाब नहीं देते
खामोशी से
गुमसुम बैठे रहते
जब तुम्हारा चेहरा
प्रेम भाव से दमक रहा हो
मन मोहब्बत का
गीत गाने का हो रहा हो
वो खामोशी से
गुमसुम बैठे रहते
जब तुम हँसना चाहते
नाचना चाहते
वो खामोशी से
गुमसुम बैठे रहते
जब तुम्हारा मन
हँसी मज़ाक का होता
वो खामोशी से
गुमसुम बैठे रहते
जब तुम लज़ीज़ खाना
खा रहे होते
वो एक निवाला भी
नहीं खाते
खामोशी से
गुमसुम बैठे रहते
कैसा लगता ?
जब तुम क्रोध में आग
बबूला होते
अपशब्द कहते
वो खामोशी से सुनते रहते
गुमसुम बैठे रहते
20-03-2012
412-146-03-12

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