जब भावनाओं का
मनुष्य पर नियंत्रण
हो जाता
मन और ह्रदय
आहत हो जाता
निराशा छाने लगती,
मन भटकने लगता
क्रोध अपना रूप
दिखाता
कुछ कहने करने का
किसी से मिलने का
कुछ सुनने का
कहीं जाने का
मन नहीं होता
ह्रदय दुःख में डूब
जाता
मन व्यथित हो जाता
एकांत
सहारा बन जाता
आत्म मंथन
आवश्यक हो जाता
आगे बढना है तो
अपमान को सहना
सीखना होता
जो किसी ने कहा,करा
उसे भूलना होता
06-03-2012
307-41-03-12
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