Thursday, April 7, 2011

एक रात बीत गयी ,एक सुबह आ गयी


सूरज का
दरवाज़ा बंद होने लगा
आकाश में अन्धेरा
छाने लगा
मजदूरों ने
काम बंद किया
पक्षी घर लौटने लगे
बत्तियां जलने लगी
चाँद ने मुंह निकाला
तारों को साथ लाया
नीरवता
निरंतर बढ़ने लगी
रात शवाब पर आयी
उल्लू बोलने लगे
झींगुर क्यूं पीछे रहने लगे
वो भी कुर्र कुर्र करने लगे
चोरों में जाग हुयी
शिकार की तलाश
शुरू हुयी
जागते रहो की आवाज़
आयी
नींद चुपके से छाने लगी
सोने वालों को
सपने आकाश की सैर
कराने लगे
चाँद थकने लगा तारे
मंद हुए
भोर को आमंत्रण दिया
भोर आयी
चाँद विदा हुआ
तारों को साथ ले गया
सूरज ने अंगडाई ली
किरनें धरती पर बिखरी
चौकीदार उबासी लेने लगे
पक्षी चहचहा ने लगे
मजदूर काम पर जाने लगे
एक रात बीत गयी
एक सुबह आ गयी
07-04-2011
624-57 -04-11

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