Thursday, April 7, 2011

दो चार दिन जीवन के ,खुशी से काट लो


जीवन
के दिन दो चार
सुख से काट लो
या विकार से भर लो
करो इस पर विचार
दूर करो मनोविकार
ना प्रतिकार का सोचों
जुबान को लगाम दे दो
निरंतर भाषा प्रेम की
बोलो
दूर दुर्भाव को करो
सदविचार हिस्सा
जीवन का बनाओ
प्रेरित औरों को भी
करो
कुंठा मुक्त मन को रखो
ना होड़ किसी से करो
खुद आनंद जीवन का लो
औरों को भी लेने दो
दो चार दिन
जीवन के
खुशी से काट लो
07-04-2011
621-54 -04-11

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