Friday, April 8, 2011

सच से दुनिया को रूबरू कराओगे तुम

कुछ वक़्त दिल से दिल लगाया तुमने
कुछ लम्हे ख्यालों में हमें दिए तुमने
जब फलसफा ज़िन्दगी का लिखोगे तुम
कुछ लफ्ज हमारे लिए भी लिखने होंगे
साथ बिताए लम्हों का ज़िक्र करना होगा
छुपाओगे तो ,धोखा खुद से  करोगे तुम
हमारे साथ किया वो खुद से करना होगा
अपनी फितरत का शिकार खुद होगे तुम
ना चैन से रह सकोगे, ना सो सकोगे तुम
याद   हमें इक दिन  करोगे तुम
निरंतर इल्ज़ाम जो लगाया हम पर
उसे  झूंठा कहोगे तुम
सच से दुनिया को रूबरू कराओगे तुम
08-04-2011
629-62-04-11

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