Wednesday, April 6, 2011

दिल तुम्हारा गवाही ना देगा

जानता हूँ
कहीं मिल गया तो
पहचानोगे नहीं मुझे
नज़रें बचा कर
निकल जाओगे वहाँ से
गर नफरत इतनी तो
आँख से आँख मिलाना
फिर साफ़ साफ़ कहना
नहीं चाहते तुम हमको
दिल तुम्हारा गवाही ना देगा
दिल चाह कर भी नफरत का
इज़हार ना करने देगा
निरंतर गरूर ने
तुम्हें हमसे दूर किया
अब छोड़ दो उसे
माफ़ हमने किया तुम को
तुम भी अब हमें माफ़ कर दो
फिर से साथ चलने का
इरादा कर लो
06-04-2011
619-52 -04-11

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