Wednesday, January 11, 2012

काले दुपट्टे में


अमावस की रात को
काले दुपट्टे से ढके चेहरे में 
वो पूनम के चाँद सी
दिख रही थी
आँखों को यकीन नहीं
हो रहा था
चाँद करीब से देखने पर
इतना खूबसूरत होता है
आँखें बंद होने का
नाम नहीं ले रही थी
दिल करने लगा उसे
देखता ही रहूँ
दो बात करूँ
तभी उसने दुपट्टे से मुंह
ढक लिया
अन्धेरा छा गया
लगा चाँद छुप गया
थोड़ी देर
इंतज़ार करता रहा
गौर से देखा तो
सामने कोई नहीं था
उजाले को फिर
अँधेरे में बदल कर
वो जा चुकी थी
मैं फिर उजाले की
तलाश में निकल पडा
तब से अब तक भटक
रहा हूँ ,
उजाले को ढूंढ रहा हूँ
11-01-2012
32-32-01-12

1 comment:

***Punam*** said...

very romantic.....
but sad...