अमावस की रात को
काले दुपट्टे से ढके चेहरे में
वो पूनम के चाँद सी
दिख रही थी
आँखों को यकीन नहीं
हो रहा था
चाँद करीब से देखने पर
इतना खूबसूरत होता है
आँखें बंद होने का
नाम नहीं ले रही थी
दिल करने लगा उसे
देखता ही रहूँ
दो बात करूँ
तभी उसने दुपट्टे से मुंह
ढक लिया
अन्धेरा छा गया
लगा चाँद छुप गया
थोड़ी देर
इंतज़ार करता रहा
गौर से देखा तो
सामने कोई नहीं था
उजाले को फिर
अँधेरे में बदल कर
वो जा चुकी थी
मैं फिर उजाले की
तलाश में निकल पडा
तब से अब तक भटक
रहा हूँ ,
उजाले को ढूंढ रहा हूँ
11-01-2012
32-32-01-12
1 comment:
very romantic.....
but sad...
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