कैसे बताऊँ क्या है
दिल में तुम्हारे लिए?
कैसे कहूं
क्या मिलता है मुझे
तुमसे गुफ्तगू कर के?
क्यों तुम्हारा नाम आता है ?
जहन में बार बार
न तुम माशूक मेरे
ना मैं आशिक तुम्हारा
फिर भी मन नहीं मानता
खामोश रहने के लिए
कैसे समझाऊँ?
कुछ तो
मिलता होगा तुमसे
जो मिला नहीं मुझे
अभी तक अपनों से
दिल रोता रहा अब तक
जिसको पाने के लिए
कोई तो है
जो समझता है मुझ को
ऐसा अहसास होता है
दिल को सुकून
ज़ज्बातों को मुकाम
मिलता है
रिश्ता पिछले जन्म का
लगता है
अकेला नहीं हूँ ऐसा
लगता है
कैसे बताऊँ क्या है
दिल में तुम्हारे लिए?
10-01-2012
24-24-01-12
No comments:
Post a Comment