Monday, January 2, 2012

दुनिया बदल गयी, फितरत बदल गयी


दुनिया बदल गयी
फितरत बदल गयी 
रिश्तों में कडवाहट
भाई बहन में दूरियां
बढ़ गयी
हवा प्रदूषित हो गयी
चौपाल अब फेस बुक,
ट्विटर पर लगने लगी
अब पेन,
स्याही की चिंता
सताती नहीं
दीपावली मिलन
एस एम एस से होने लगा
मन की
बात कहने के लिए
ब्लॉग मिल गया
चिट्ठी पत्री के लिए
अब इ मेल हो गया
घर का शयन कक्ष
सिनेमा हॉल बन गया 
दिन रात टी वी देखना
ज़रूरी हो गया
खेल के मैदानों में
कॉलोनियां बस गयी
खेलने के लिए
कंप्यूटर मिल गए
लडकी की बरात
लड़के के शहर जाने लगी
शादियाँ दो दिन में
निमटने लगी
दुनिया अब इंटरनेट की
मुट्ठी में समा गयी
हज़ार मील दूर से भी
शक्ल चुटकियों में
दिखने लगी
मोबाइल अब मूंछ का
बाल हो गया
छोटे से बड़े तक
हर शख्श के लिए ज़रूरी
हो गया
गाँव शहर में दूरी कम
हो गयी 
पैसे कमाने की होड़
बढ़ गयी
लडकियां लडको से
आगे बढ़ रही
संतुष्टी कोसों दूर
चली गयी 
दुनिया अब दिखावे की
रह गयी
इमानदारी आंसू बहा
रही
बेईमानों की चांदी
हो रही
राजनीति सत्ता तक
सीमित हो गयी
कर्तव्य ,निष्ठा की बातें
पुरानी हो गयी 
हमारी तुम्हारी
फितरत बदल गयी
02-01-2012
06-06-01-12

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