Tuesday, January 10, 2012

हाउस वाइफ का सुख दुःख हाउस वाइफ ही जाने


हाउस वाइफ का सुख दुःख
हाउस वाइफ ही जाने
आज ससुर तो कल सास बीमार
आज डाक्टर को
कल बैद जी को दिखाना है
मंदिर से लेकर
अस्पताल तक साथ निभाना है 
पति का सर दुःख रहा
सर पर बाम भी लगाना है
बेटा खांसने लगा
शरीर उसका भी गर्म हो रहा
उसको हल्दी मिला दूध पिलाना है
चिडचिडा हो रहा है
इसलिए उसके पास भी बैठना है  
स्कूल जाकर छुट्टी के लिए कहना है
अब गैस ख़त्म हो गयी
कब आयेगी पता नहीं
तब तक पड़ोसी से मांग कर
काम चलाना है
काम वाली बाई पता नहीं
क्यों नहीं आयी
खाना तो बनाना है
बर्तनों को भी साफ़ करना है
 ननद का पती आ रहा है
दो चार दिन उनका भी
सत्कार पूरा करना है
साथ में शहर दर्शन भी कराना है
कमी रह जायेगी तो
महीनों सुनना पडेगा
छोटी बहन का फ़ोन आया
उसके ससुराल में विवाह है
शौपिंग के लिए
उसके साथ बाज़ार  जाना है
लौट कर बेटे को
मैच के लिए स्कूल ले जाना है
दफ्तर से पती का फ़ोन आया है
रात को
चार पांच दोस्तों का खाना है
 इंतजाम ठीक से करना है
इज्ज़त का झंडा जो ऊंचा रखना है
जेठ जी का फ़ोन आया
कल सुबह आयेंगे
पतिदेव तो दफ्तर जायेंगे
इसलिए स्टेशन से लाना है 
आज करवा चौथ का व्रत है
भूखे पेट भजन नहीं होता
पर हाउस वाइफ को घर तो
चलाना है
खुद का सर दुखे या पेट
पर खाना तो बनाना है
छोटी छोटी बात का भी
ख्याल रखना है
माँ,बहु,भाभी,पत्नी का
 धर्म निभाना है 
सब को खुश जो रखना है
मन करता थोड़ा अपने
मन का कर ले
इतने में कोई घंटी बजाता है
दरवाज़ा खोला तो सामने
पड़ोसी खडा है
पत्नी की तबियत ठीक नहीं
अस्पताल साथ जाना है
इतना कुछ करती है
फिर भी कई बार सुनना पड़ता
दिन भर क्या करती हो
समय कैसे निकलता है
तुम्हें कितना आराम है
काम के लिए तुम्हें
दफ्तर नहीं जाना पड़ता
कैसे समझाए किसी को?
निरंतर खटते खटते उम्र
गुजर जाती है
हर दिन दूसरों के लिए जीती
फिर भी ज़िन्दगी भर
 केवल हाउस वाइफ
कहलाती है 
10-01-2012
29-29-01-12

1 comment:

***Punam*** said...

इतना कुछ करती है
फिर भी कई बार सुनना पड़ता
दिन भर क्या करती हो
समय कैसे निकलता है
तुम्हें कितना आराम है
काम के लिए तुम्हें
दफ्तर नहीं जाना पड़ता


yahi to har haousewife ki raam kahani hai...
bas aapki jubaani hai...