खुदा की ये कैसी मर्जी है
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
अज़ब मोड़ पर खडी है
इक तरफ खिजा का आलम
दूसरी तरफ बहार छा रही है
कभी लबों पर मुस्कान आती
कभी आँखें नम हो जाती है
कभी हँस हँस कर बातें होती
कभी जुबां लडखडाने लगती है
अब खुदा से सिर्फ एक अर्जी है
चाहे तो मुझ से हँसी छीन ले
आँखों की नमी भी साथ ले ले
मेरा सुकून मुझे वापस दे दे
निरंतर इत्मीनान से जीने दे
इक तरफ खिजा का आलम
दूसरी तरफ बहार छा रही है
कभी लबों पर मुस्कान आती
कभी आँखें नम हो जाती है
कभी हँस हँस कर बातें होती
कभी जुबां लडखडाने लगती है
अब खुदा से सिर्फ एक अर्जी है
चाहे तो मुझ से हँसी छीन ले
आँखों की नमी भी साथ ले ले
मेरा सुकून मुझे वापस दे दे
निरंतर इत्मीनान से जीने दे
26-01-2012
82-82-01-12
1 comment:
मेरा सुकून मुझे वापस दे दे
निरंतर इत्मीनान से जीने दे..
aameen!!!!
aisa hi hoga...
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