मेरे पैरों का दर्द
दिन रात मुझे विचलित
करता रहता
पर मेरे पैरों का
कोई दोष नहीं इस में
उन्होंने तो जीवन भर
मेरा साथ दिया
निरंतर मेरा बोझ ढ़ोया
मुझे उठाया,बिठाया,
सड़क पर चलाया
पहाड़ पर चढ़ाया
खिलाया,कुदाया
नया गाँव,नया शहर
दिखाया
कभी किसी का
सहारा नहीं लेने दिया
मैंने भी उनपर
अत्याचार कम नहीं किया
आवश्यकता से अधिक
उनको काम में लिया
अब बेचारे दर्द करते
चैन से नहीं रहने देते
तो उन्हें कैसे दोष दूं ?
भूल गया हूँ
बिना दर्द के पैर कैसे
होते हैं ?
अब दर्द के साथ जीता हूँ
खुशी से सहता हूँ
समझता हूँ
मेरे पैरों के अहसानों का
बदला चुका रहा हूँ
17-01-2012
54-54-01-12
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