Tuesday, January 17, 2012

मेरे पैरों का दर्द


मेरे पैरों का दर्द
दिन रात मुझे विचलित
करता रहता  
पर मेरे पैरों का
कोई दोष नहीं इस में
उन्होंने तो जीवन भर
मेरा साथ दिया 
निरंतर मेरा बोझ ढ़ोया
मुझे उठाया,बिठाया,
सड़क पर चलाया
पहाड़ पर चढ़ाया
खिलाया,कुदाया
नया गाँव,नया शहर
दिखाया
कभी किसी का
सहारा नहीं लेने दिया 
मैंने भी उनपर
अत्याचार कम नहीं किया
आवश्यकता से अधिक
उनको काम में लिया
अब बेचारे दर्द करते
चैन से नहीं रहने देते  
तो उन्हें कैसे दोष दूं ?
भूल गया हूँ
बिना दर्द के पैर कैसे
होते हैं ?
अब दर्द के साथ जीता हूँ
खुशी से सहता हूँ
समझता हूँ
मेरे पैरों के अहसानों का
बदला चुका रहा हूँ
17-01-2012
54-54-01-12

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