हक है तुम्हें
शक से देखो हमें
तुम्हारे ख्यालों पर
कोई गिला नहीं हमें
गलती तुम्हारी नहीं
तुमने देखे ही नहीं
साफ़ दिल के लोग कभी
खाई है
चोट अपनों से बहुत
परायों पर
ऐतबार कैसे करोगे
शक करना मजबूरी
तुम्हारी
क्यूं हम पर शक ना
करोगे?
10-01-2012
25-25-01-12
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