Tuesday, January 17, 2012

वो मुझसे नाराज ,मैं उससे नाराज

वो मुझसे नाराज
मैं उससे नाराज
वो मुझे माफ़ कर दें
तो मैं उसे माफ़ कर दूं
आपस में सुलह हो
जायेगी
नाराजगी आसानी से
ख़त्म हो जायेगी
अब पहल कौन करे
झगडा इस बात  पर था
उलझन को सुलझाने लिए
मध्यस्थ ढूँढने लगे
जिसके लिए मैं कहता
वो नहीं मानता
जिसके लिए वो कहता
मैं नहीं मानता
नाराजगी पहले से
अधिक बढ़ गयी
दोनों के बीच दूरियां भी
अधिक हो गयी
समय गुजरता गया
ना मुझको चैन मिला
ना उसको चैन मिला
समय के साथ दोनों को
समझ आ गया
रिश्तों के बीच "मैं"
आ गया था
अहम् ने मष्तिष्क पर
पर्दा डाल दिया था
कारणवश झगडा सुलझ
नहीं रहा था
आत्मचिंतन किया
उसके घर की ओर
बढ़ चला
वो मेरे घर की ओर
आ रहा था
रास्ते में दोनों का
मिलना हुआ
गिला शिकवा दूर
हो गया
दोस्ती का नया दौर
शुरू हो गया
अहम् का नुकसान
पता चल गया
47-47-01-12

1 comment:

Urmi said...

बेहद ख़ूबसूरत और प्यार भरी रचना!