Tuesday, January 24, 2012

मेरी उम्मीदों को कायम रहने दें


 उनके घर के
करीब पहुँचते ही
दिल की
धडकनें बढ़ जाती
दिल में ज़ज्ब उम्मीदें
करवटें लेती
उनके घर की तरफ
निगाहें उठ ही जाती
वो नज़र आ जाए
देख कर मुस्कारा दें
मेरे अरमानो को
रफ़्तार दे दें
अगर गुरेज हो
उन्हें मुस्काराने से
तो बस मुझे देख लें
देखने से भी गुरेज हो
अगर उनको
तो मुझे ही जी भर के
देख लेने दें
मेरी उम्मीदों को
कायम रहने दें
मुझे इंतज़ार में
जीने दें
24-01-2012
79-79-01-12

1 comment:

Pushpendra Vir Sahil पुष्पेन्द्र वीर साहिल said...

अरमानों को रफ़्तार मिलनी चाहिए ... बहुत खूब !