कोई ज्यादा हँसता
तो अजीब सा लगता
जहन में ख्याल आता
वाकई खुश है या
गम पी पी कर के
दिखाने को हंस रहा
या फिर मेरे ग़मों का
मज़ाक बना रहा
मैं भी क्या करूँ
जिधर नज़र उठाता हूँ
कोई खुश नज़र
नहीं आता
हर शख्श ग़मों का
बोझ लेकर जीता
दिखता
निरंतर चेहरे पर
चेहरा लगाए
दिखता
17-01-2012
53-53-01-12
2 comments:
क्या बात ...वाह जी सत्य लिख दिया
कोई कोई खुद पर भी हँसता हैं
aise chehron ko dekhen hi nahin....
achchhi rachna...kyun ird-gird aise hi insaan hain....
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