Tuesday, January 17, 2012

कोई ज्यादा हँसता

कोई ज्यादा हँसता 
तो अजीब सा लगता
जहन में ख्याल आता
वाकई खुश है या
गम पी पी कर के
दिखाने को हंस रहा
या फिर मेरे ग़मों का
मज़ाक बना रहा
मैं भी क्या करूँ
जिधर नज़र उठाता हूँ
कोई खुश नज़र
नहीं आता
हर शख्श ग़मों का
बोझ लेकर जीता
दिखता
निरंतर चेहरे पर
चेहरा लगाए
दिखता
17-01-2012
53-53-01-12

2 comments:

Anju (Anu) Chaudhary said...

क्या बात ...वाह जी सत्य लिख दिया

कोई कोई खुद पर भी हँसता हैं

***Punam*** said...

aise chehron ko dekhen hi nahin....
achchhi rachna...kyun ird-gird aise hi insaan hain....