Saturday, January 7, 2012

नहीं जानता मैं चाहता क्या हूँ


नहीं जानता
मैं चाहता क्या हूँ
नए लोगों से मिलता हूँ
उन्हें अपना बनाना
चाहता हूँ 
पुरानों को अपने साथ
रखना चाहता हूँ
नए जब पुराने हो जाते
चेहरे साफ़ दिखने लगते
मुझे सवालों से घेरते
सच कह देता हूँ
सच पूछ लेता हूँ
चेहरे से पर्दा हटाने की
कोशिश में मुझसे
रुष्ट हो जाते हैं
खुद से लड़ता हूँ
खुद को समझाता हूँ
कैसे अपने साथ रखूँ
निरंतर सोचता हूँ
जितना मनाता हूँ
उतना ही दूर होता
जाता हूँ
असली चेहरे को
पहचाने लगता हूँ
नहीं जानता
मैं चाहता क्या हूँ
07-01-2012
20-20-01-12

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