आवाज़ देता हूँ
दिल से बुलाता हूँ
तुम आती नहीं हो
या तो पहुँचती नहीं
मेरी आवाज़ तुम तक
या मजबूर हो
ज़माने से डरती हो
घबराती हो
कहीं टूट ना जाए
दिल का रिश्ता हमारा
खामोशी से सहती हो
दिन रात तड़पती हो
खुद आकर ले जाऊं
निरंतर
इस इंतज़ार में
इस इंतज़ार में
बैठी हो
02-01-2012
07-07-01-12
No comments:
Post a Comment