जितना
याद करता हूँ
ख्यालों में
उतना ही खोता हूँ
भावों के भंवर में
गोता लगाता हूँ
अतीत की नदी में
अविरल बहता हूँ
निरंतर सोचता हूँ
क्यों मिलता
फिर बिछड़ता कोई
ह्रदय का स्पंदन
मन की उलझन
बढाता हूँ
उत्तर की प्रतीक्षा में
जीता जीता हूँ
19-01-2012
60-60-01-12
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