मुझ पर तोहमत
ना लगाओ
मैंने तो नहीं चाहा
उसकी तमन्ना बनूँ
मैंने तो सिर्फ चाहा था
वो तन्हा ना रहे
तन्हाई में अश्क ना
बहाए
रो रो कर झील सी
नीली आँखों की
ख़ूबसूरती ना खो दे
मैंने तो चाहा तो
वो मायूस ना रहे
मायूसी में
जिंदा रहने की ख्वाइश
ना छोड़ दे
मैं कद्रदां हूँ खूबसूरत
चेहरों का
आशिक हूँ नशीली
आँखों का
कैसे ये सब बर्दाश्त
करता
मजबूरी में उसका
हाथ थाम लिया
05-03-2012
294-29-03-12
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