Monday, March 5, 2012

मजबूरी में उसका हाथ थाम लिया

मुझ पर तोहमत
ना लगाओ
मैंने तो नहीं चाहा
उसकी तमन्ना बनूँ
मैंने तो सिर्फ चाहा था
वो तन्हा ना रहे
तन्हाई में अश्क ना
बहाए
रो रो कर झील सी
नीली आँखों की
ख़ूबसूरती ना खो दे
मैंने तो चाहा तो
वो मायूस ना रहे
मायूसी में
जिंदा रहने की ख्वाइश
ना छोड़  दे
मैं कद्रदां हूँ खूबसूरत
चेहरों का
आशिक हूँ नशीली
आँखों का
कैसे ये सब बर्दाश्त
करता
मजबूरी में उसका
हाथ थाम लिया
05-03-2012
294-29-03-12

No comments: