Friday, April 1, 2011

महफ़िल संगीत की सजी थी



महफ़िल
संगीत की सजी थी
मीठी आवाज़ में गायक
सुरों की सरिता बहा
रहा था
साजिन्दे सुर में साज़
बजा रहे थे
निरंतर सुर में सुर
मिला रहे थे
तभी तार सितार का
टूट गया
सुर बेसुरा हुआ  
ध्यान गायक का भंग
हुआ
क्रोध में तिलमिलाया
साजिन्दे को घूर कर
देखा
गालियों से उसे नवाज़ा
जुबान से दिल का
हाल पता चला
चेहरे से नकाब उतर
गया 

01-04--11
568—01-04-11

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