Friday, April 1, 2011

दिल का खज़ाना,अभी ख़त्म ना हुआ

दिल का खज़ाना ,
अभी ख़त्म ना हुआ
खूब लुटा
फिर भी निराश ना
हुआ
ज़ख्मों से भर गया
कई बार ठुकराया गया
फिर भी टूटा नहीं
चोट से डरता नहीं
हार मानता नहीं
मोहब्बत लुटाता  रहता
कोई लौटा दे
निरंतर कोशिश में
लगा रहता
31-03-03
567—237-03-11

No comments: