Friday, April 1, 2011

मोहब्बत की धूप

कभी तो
मोहब्बत की धूप
मेरे दिल में भी आयेगी
अपनी गर्मी से उसे
गरमाएगी
जमे हुए खून को
पिघलाएगी
मोहब्बत की नदी
बहेगी
चाहने वालों को निरंतर
साथ बहाएगी
याद उन्हें हमारी आएगी
दिल के दरवाज़े पर
दस्तक होगी
आशियाना हमारे दिल में
बनायेगी
31-03-03
566—236-03-11

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