Friday, April 1, 2011

बड़े शौक से गुलदान लाया


बड़े शौक से गुलदान लाया
रंग बिरंगा,महकता
फूल गुलदान में लगाया
बड़े अरमान से घर में
सजाया
गर्व से सब को दिखाया
खुद को
खुशकिस्मत बताया
पता नहीं
क्यों किसी को ना भाया ?
गुलदान लोगों की
नज़रों में खटका
असर फूल पर पडा
रंग उसका बदरंग हुआ
महक से महरूम हुआ
फूल मुरझा गया
गुलदान सूना हुआ
निरंतर उसको देखता
लोगों की नज़रों से डरता
फिर फूल लगाऊँ?
खुदा से पूंछता?
31-03-03
565—235-03-11

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